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Saturday, February 26, 2011

उपन्यासकार की 'आजादी'

अमेरिकी लेखक जोनाथन फ्रेन्ज का उपन्यास फ्रीडम पिछले कई हफ्तों से बेस्टसेलर की सूची में बना हुआ है । यह उपन्यास ना केवल बेस्ट सेलर की सूची में शीर्ष पर है बल्कि पाठकों के साथ साथ आलोचकों ने भी इसे खुले दिल से सराहा है । इस उपन्यास को लेकर अमेरिका और यूरोप में काफी शोरगुल मचा, हर अखबरा और पत्रिका में इसकी चर्चा हुई । उपन्यास की लोकप्रियता और उसकी शैली को लेकर आलोचक इतने अभिभूत हो गए कि कई लोगों ने इसके लेखक जोनाथन फ्रेंन्ज को टॉलस्टॉय और टॉमस मान के समांतर खड़ा कर दिया । विश्व प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने अपने कवर पर जोनाथन की तस्वीर छापी और उन्हें पिछले दस सालों में प्रकाशन जगत का सबसे ज्यादा ध्यान खींचनेवाला लेखक करार दे दिया । आमतौर पर उपन्यासों को बेदर्दी से तसौटी से पर कसनेवाले अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में जब इसकी समीक्षा छपी तो इसे अमेरिकन फिक्शन का मास्टरपीस करार दिया । लब्बोलुआब यह कि फ्रीडम को उसके पाठकों ने काफी पसंद किया ।
लेखक का दावा है कि उसे यह उपन्यास लिखने में नौ वर्ष लगे ।
दरअसल अगर हम इस उपन्यास के कथानक को देखें तो यह पूरा उपन्यास एक फैमिली ड्रामा है जिसमें वाल्टेयर और पैटी का प्यार परवान चढ़ता है । वो दोनों शादी के बंधन में भी भंधते हैं और फिर सेंट पॉल शहर के प्रतिष्ठित इलाके में घर खरीदकर अपना वैवाहिक जीवन शुरू करते हैं । पैटी एक आदर्श पड़ोसी की तरह व्यवहार करती है जो बहुधा अपने अगल बगल में रहनेवालों को बैटरी रिसाइकल करने की युक्ति बताती है तो कभी लोगों को यह समझाती है कि कैसे स्थानीय पुलिसकर्मियों का उपयोग किया जा सकता है । पैटी और वाल्टर का जीवन बेहद रोमांटिक तरीके से गुजरता है और वाल्टर की नजर में पैटी एक बेहतरीन माशूका है जो पत्नी बनने के बाद भी उतनी ही शिद्दत से उसे प्यार करती है । प्यार और मोहब्बत के बीच चल रही जिंदगी के बीच एक अहम मोड़ तब आता है जब कुछ दिनों बाद उन्हें एक पुत्र पैदा होता है । पुत्र के पैदा होने के बाद समय का पहिया घूमता है और कहानी थोड़ी तेजी से चलती है और समय के साथ पैटी और वॉल्टर जवान जोड़े से बुढाते जोडे़ में तब्दील होने लगते हैं ।
इस उपन्यास की कहानी में रोचक मोड़ तब आता है जब पैटी का बेटा किशोरावस्था में पहुंचता है । टकराहट होती है मां के सपनों और बेटे की आकांक्षाओं में । यहां इस मनोविज्ञान को लेखक ने बेहद सूक्षम्ता से पकड़ा है । किशोरवय बेटे जॉय और मां पैटी के बीच जो मनमुटाव और विचारों का संघर्ष चलता है उसकी परणिति होती है कि एक दिन उनका इकलौता बेटा घर छोड़कर आक्रामक रिपब्लिकन पड़ोसी के घर में रहने चला जाता है । यह उपन्यास एक फैमिली ड्रामा के अलावा अभिभाकत्व के संघर्षों की दास्तां भी है । बाद में जॉय शादी कर लेता है और अपनी पत्नी कोनी के साथ रहने लगता है । बुढ़ाती मां पैटी अपने बेटे के पास तो जाना चाहती है लेकिन उसकी पत्नी कोनी को वो पसंद नहीं करती है। यहां आपको टिपिकल इंडियन मानसिकता भी नजर आ सकती है । जोनाथन के हर उपन्यास में एक भारतीय पात्र तो होता ही है इसलिए मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि जोनाथन ने भारतीय परिवार की मनस्थिति को अमेरिकी परिवेश में ढाला है । गौरतलब है कि जोनाथन ने अपने इस उपन्यास में भी एक भारतीय पात्र को रखा है । इस उपन्यास में वॉल्टर की सेक्रेटरी ललिता एक भारतीय लड़की है । इसके पहले भी जोनाथन ने अपने उपन्यास द ट्वेंटीसेवन्थ सिटी में मंबई की एक लड़की एस जामू को एक शहर के पुलिस प्रमुख के रूप में चित्रित किया है ।
कहानी आगे बढ़ती है तो जॉय अपनी पत्नी के पत्नी के अलावा बेहद खबसूरत लड़की जेना में सुकून तलाशता है । उधऱ पैटी को अपने पति वॉल्टर की सेक्रेटरी ललिता फूटी आंखों नहीं सुहाती । इस तरह के परिवेश में जहां बेटा अपनी पत्नी के रहते अपनी प्रेमिका के जुल्फों में उलझा हो और पति अपनी सेक्रेटरी के साथ इश्क की पींगे बढ़ा रहा हो तो एक महिला के दिमाग में क्या चल रहा होगा । पैटी की मानसिकता और खंडित वयक्तित्व का जो सूक्ष्म चित्रण जोनाथन ने किया है वह इस उपन्यास को रोचरता की नई उंचाई पर ले जाता है । कहानी में ही यह तथ्य भी सामने आता है कि दरअसल पैटी की का जो असुरक्षा बोध है, उसके पीछे का मनोविज्ञान यह है कि पैटी जब किशोरी थी तो देश के प्रथम परिवार के बेटे ने उसके साथ डेट रेप किया था । चूंकि अपराधी देश के बड़े परिवार से था इसलिए पैटी के मां-बाप इस अपराध को भी भुनाने में लग गए और बेटी का सौदा कर अपने फायदे की सोचने लगे। पैटी को जब अपने मोल भाव का पता चला तो वह बेहद खिन्न हो गई । उसे लगने लगा कि घर-परिवार सब बेकार है , सब अपने फायदे की सोचते हैं । उस वक्त से ही पैटी के अंदर बेहद असुरक्षा का बोध घर कर गया था जो उसके मां बनने के बाद बढ़ता चला गया ।
जोनाथन के इस उपन्यास के सारे पात्रों ने कहीं न कहीं जबरदस्त पाबंदी के बाद स्वतंत्रता के स्वाद को चखा है । लेकिन ज्यों ही वो स्वतंत्रता के जोश में उन्मादी होने लगते हैं उन्हें जबरदस्त ठोकर लगती है और वो जमीन पर आ जाते हैं । अगर हम उदाहरण के तौर पर देखें तो बॉस्केटबॉल खिलाड़ी पैटी जब आजाद होकर दौड़ते हुए सड़क पर आती हैं तो अचानक फिसलकर गिरती हैं और अस्पताल पहुंच जाती है । पैटी के जोश और फिर उसके ठोकर खाकर गिर जाने की घटना से इस उपन्यास का एक पैटर्न दिखाई देता है जिसका जिक्र मैं उपर कर चुका हूं । लेकिन जिस तरह से सांप सीढी के खेल की तरह इस उपन्यास कथा चलती है उससे रोचकता बरकरार रहती है और वो पाठकों को लगातार बांधे रखती है । इसके अलावा घटनाओं और परिस्थियों को जो सूक्ष्म चित्रण लेखक ने किया है उससे उनकी मेहनत साफ तौर पर झलकती है । लेखक ने इस बहाने से अमेरिका के समाज का चित्रण किया है । यह उपन्यास बराक ओबामा के अमेरका के राजनीतिक पटल पर उदय के साथ खत्म होता है । जहां जीत की उम्मीद है और बदलाव की आहट भी ।

1 comment:

Shankar Sharan said...

पिछले स्तंभ में गाँधी आश्रम के बारे में और लिखने का वादा?