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Thursday, February 13, 2014

नरेन्द्र मोदी के नाम खुला खत

आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी
जिस तरह से आप पूरे देश में घूम रहे हैं और अपनी वकतृत्व कला से मतदाताओं को बांध रहे हैं उससे एक बात तो साबित हो गई है कि आपने उत्तर भारत में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में हवा बना दी है । न्यूज चैनलों पर चुनाव पूर्व सर्वे में ये बातें परिलक्षित भी हो रही है । आपकी इस लोकप्रियता के बाद तो एक जमाने में पार्टी में आपके पैरोकार रहे लौहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी भी आपकी लोकप्रियता का लोहा मान रहे होंगे वयोवृद्ध नेता आडवाणी जी अब गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और उसके बाद की घटनाओं का स्मरण भी नहीं करना चाह रहे होंगे आपकी पार्टी के दिल्ली के स्थापित नेता जिन्हें राजनीतिक पंडित गैंग ऑफ फोर कहा करते थे वो भी आपके सामने नतमस्तक हैं, ऐसा प्रतीत होता है आप जिस तरह से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद करते हुए देशभर में घूम रहे हैं उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस भी आगामी लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर आशंकित होगी इस वक्त जब देश में भयंकर महंगाई से आम जनता त्रस्त है और भ्रष्टाचार के कई संगीन इल्जाम संप्रग सरकार पर लग रहे हैं, आपने बेहतरीन तरीके से जनता का मूड भांपते हुए उन्हें सपने दिखाने शुरू कर दिए हैं । मोदी जी, आपकी छवि काफी साफ सुथरी है और गुजरात की जनता ने आपको लगातार अपना प्यार भी दिया । भ्रष्टाचार के खिलाफ जब आप दहाड़ते हैं तो लगता है कि वो दिन आ गया है जब देश में कोई घूसखोर बच नहीं पाएगा । मोदी जी आप अपनी रैलियों में सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से संप्रग सरकार पर लाखों करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप जड़ते रहे हैं । जब आप इस तरह के आरोप लगाते हैं तो मन में एक सवाल खड़ा होता है । पिछले सालों में आपके राज्य गुजरात में सीएजी की रिपोर्ट में कई ऐसे गड़बड़झालों का जिक्र है । विपक्ष का आरोप है कि गुजरात में सीएजी ने सौराष्ट्र के तकरीबन दो हजार गांवों में पानी के इंतजाम में तकरीबन पांच सौ करोड़ की गड़बड़ियों की ओर इशारा किया है उसके बारे में गुजरात सरकार ने क्या कार्रवाई की ये अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है । इसी तरह विपक्ष ने सीएजी के समय समय पर दिए गए रिपोर्ट के हवाले से शिक्षा विभाग, पंचायत और गृह विभाग के अलावा नर्मदा परियोजना में सैकड़ों करोड़ के घोटालों का आरोप जड़ा है लेकिन उस पर भी आप कमोबेश खामोश ही रहते हैं । ये गुजरात में विपक्ष की नाकामी और कमजोरी है कि वो आपको इन मुद्दों पर घेर नहीं पाता है ।ये विपक्षी दलों की कमोजर साख है कि जनता उनके कहे पर यकीन नहीं करती है । उनकी इस कमजोरी और आपकी टीम की प्रबंधकीय कौशल का भी परिणाम है कि लोग इन आरोपों पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं । आप बहुधा केंद्र सरकार पर भ्रष्ट मंत्रियों को बचाने का आरोप भी जड़ते रहे हैं लेकिन आपने भी अपने मंत्री बाबूभाई बोखारिया को सेशंस कोर्ट से लाइमस्टोन घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद भी अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा था । कांग्रेस इन आरोपों को लेकर लगातार आपपर दोहरे मानदंड़ अपनाने का आरोप लगाती रहती है । लोकायुक्त की नियुक्ति को लंबे समय तक टालकर आपने इन आरोपों को मजबूकी प्रदान की । आपको इन आरोपों पर खुलकर अपने विचार व्यक्त करने चाहिए ।    
आप अपनी रैलियों में जनता से साठ महीने का वक्त मांग रहे हैं । एक ऐसे राजनेता, जो अपने देश के लिए कुछ कर दिखाना चाहता है, के लिए जनता से वोटयाचना करना उसका लोकतांत्रिक अधिकार है। आप और आपके समर्थक गुजरात के विकास के मॉडल को मिसाल के तौर पर पेश कर रहे हैं । गुजरात में पिछले एक दशक से ज्यादा आपके शासनकाल में आपके विकास के दावों पर कमोबेश जनता को यकीन भी होता नजर आ रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं । अगर हम आंकड़ों के मकड़जाल में नहीं भी फंसे और शुद्ध सियासत पर बात करें तो मन में कई आशंकाएं हैं । सबसे बड़ी आशंका तो ये है कि भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जो माहौल बना है और आपकी सभाओं में जो भीड़ आ रही है वो वोट में कैसे तब्दील हो पाएगी । अगर हम सीटों की बात करें तो भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, बिहार और महाराष्ट्र बेहद अहम हैं । इन राज्यों में लोकसभा की कुल दो सौ उनचास सीटें हैं । इन पांच राज्यों में से उत्तर प्रदेश और बिहार में तो आपके और आपकी पार्टी के पक्ष में हवा दिखती है, लेकिन आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू में भाजपा कहीं मुकाबले में भी दिखाई नहीं देती है । ऐसे में उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटों में से सबसे ज्यादा सीट जीतने की चुनौती है । आपको भी इस बात का अंदाजा है इस वजह से आपने अपने सबसे विश्वासपात्र सिपहसालार अमित शाह को वहां की कमान सौंपी है । अमित शाह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी साथ है और आपकी कट्टर हिंदूवादी छवि का सहारा भी है । अगर हम उत्तर प्रदेश के चुनावी इतिहास का विश्लेषण करें तो तस्वीर धुंधलाने लगती है । उत्तर प्रदेश के चुनाव में जाति और समुदाय की अहम भूमिका का लंबा इतिहास है । उत्तर प्रदेश में दलितों और मुसलमानों के वोट को जोड़ देते हैं तो ये उनचालीस फीसदी होता है । राजनीति के जानकारों के मुताबिक दलित वोटर मायावती के साथ बेहद मजबूती के साथ खड़े हैं और मुसलमानों के वोट आपकी छवि और भारतीय जनता पार्टी और संघ के इतिहास की वजह से आपकी झोली में आने से रहे । तो बचते हैं इकसठ फीसदी मतदाता । अब सूबे में दस फीसदी यादव वोटर हैं जो बुरे से बुरे दिनों में मुलायम सिंह यादव का दामन नहीं छोड़ते हैं और इस वक्त तो वो सत्ता का आनंद भी उठा रहे हैं । लिहाजा बाकी बचे इक्यावन फीसदी वोटरों के सहारे आपके सामने पचास सीटें जीतने की चुनौती है । आपकी ये रणनीति सही है कि आप उत्तर प्रदेश की अपनी रैलियों में कल्याण सिंह को साथ खड़े रखते हैं । कल्याण सिंह भाजपा के उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पिछड़े नेता हैं लेकिन उनकी साख संदिग्ध है । भाजपा में उनका आना जाना लगा रहा है । लिहाजा मुझे इस बात में संदेह है कि वो पिछड़ी जाति के वोटरों को अपनी ओर खींच पाएंगे । इससे ज्यादा फायदा तो आपके पिछड़ी जाति से होने के प्रचार से मिल सकता है । आपको इस बात का एहसास है इसलिए जहां मौका मिलता है वहां आप पिछड़ा कार्ड खेलने से नहीं चूकते हैं । उत्तर प्रदेश में आपके पक्ष में कई बातें हैं । पहला तो सूबे में खराब कानून व्यवस्था और अपराधियों के सामने समाजवादी पार्टी के घुटने टेक देने से आवाम में राज्य सरकार को लेकर काफी नाराजगी है । दूसरा मुजफ्फरनगर दंगों की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण के संकेत मिल रहे हैं । तीसरा सूबे में कांग्रेस का बुरा हाल । लेकिन इन इलाकों में भी प्रत्याशियों के चयन में अगर सावधानी हटी तो दुर्घटना घट सकती है ।
उत्तर प्रदेश के बाद अगर बिहार की बात करें तो वहां भी तमाम चुनाव पूर्व सर्वे में भारतीय जनता पार्टी को लाभ मिलता दिख रहा है । इन सर्वे में सूबे की ज्यादातर जनता आपको प्रधानमंत्री पद के तौर पर देखना चाहती है । लेकिन अगर वहां भी लालू यादव, रामविलास पासवान और कांग्रेस के बीच गठजोड़ हो जाता है, जिसकी प्रबल संभावना है, तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है । महाराष्ट्र में अड़तालीस सीटें हैं और वहां पिछले दस सालों से कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार है। आपकी सहयोगी पार्टी शिवसेना अपने अंतर्कलह से जूझ रही है । उधर शरद पवार और उनके नुमाइंदे भले ही आपके साथ मेल मुलाकात कर रहे हों लेकिन वो राज ठाकरे को भी आगे बढ़ा रहे हैं । राज ठाकरे अगर मजबूत होते हैं तो वो आपके गठबंधन के वोट ही काटेंगे । माना जा रहा था कि तमिलनाडु में जयललिता का समर्थन आपको मिलेगा लेकिन जिस तरह से जयललिता ने वामदलों के साथ चुनाव पूर्व समझौता कर लिया है वो आपके लिए तगड़ा झटका है । ऐसी खबरें आ रही है कि जयललिता की भी प्रधानमंत्री पद की महात्वाकांक्षा हिलोरें ले रही हैं । यही महात्वाकांक्षा उनको तीसरे मोर्चे की ओर खींच रही है । अब अगर इन दो सौ उनचास सीटों से इतर हम कर्नाटक, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल की सीटों को जोड़ें तो वो संख्या एक सौ ग्यारह तक पहुंचती है । इनमें कर्नाटक और ओडिशा से कुछ सीटों की तो आपको उम्मीद होगी लेकिन केरल और पश्चिम बंगाल में तो उम्मीद करना बेमानी है । उसी तरह उत्तर पूर्व की पच्चीस सीटों पर भी आपकी पार्टी अपनी पहचान के लिए ही संघर्ष कर रही है । इस विश्लेषण से यह बात साफ है कि तकरीबन दो सौ दस सीटों पर आपकी पार्टी मुकाबले में भी नहीं है । बचती है तीन सौ तैंतीस सीटें । आपको लाल किला पर झंडा फहराने के लिए दो सौ बहत्तर सीटें चाहिए । सवाल यही है कि क्या आप अपनी पार्टी को सफलता का ये सट्राइक रेट दिलवा पाते हैं । । इसके अलावा आप अभी तक अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का नाम नहीं लेकर उनको नजरअंदाज कर रहे हैं लेकिन देश के मतदाता भी उन्हें नजरअंदाज करेंगे ये कहना मुश्किल है ।  

अंत में मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अगर आप भारतीय जनता पार्टी को दो सौ बहत्तर का जादुई आंकड़ा दिलवाने से पिछड़ते हैं तो आपके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े होंगे। आडवाणी ने अपने ताजा ब्लॉग में ये कहकर अपनी संभावनाएं फिर से खोल दी हैं कि उनकी सियासी पारी अभी खत्म नहीं हुई । आपकी छवि को लेकर जिस तरह से एनडीए के पूर्व सहयोगियों को आपत्ति है उसके बरक्श आडवाणी का ये ब्लॉग एक संकेत तो दे ही रहा है । आपके नेतृत्व के तेज और प्रबंधकीय कौशल के सामने जिस तरह से इस वक्त आपकी पार्टी के आला नेता चुप बैठे हैं वही आपके खिलाफ लामबंद हो सकते हैं । तब आपके सामने आपके जीवन की सबसे बड़ी सियासी चुनौती का समाना करना होगा । अगर आप इन चुनौतियों से पार पा लेते हैं तो भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में जबरदस्त तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज । आपका  

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