Translate

Tuesday, November 8, 2016

सेलिब्रिटी होने की सजा ?

भव्य सेट, चकाचौंध करती लाइट, सुपर स्टार सलमान खान की सेट पर उपस्थिति किसी भी टी वी कार्यक्रम के सफल होने की गारंटी मानी जा सकती है और उसके दर्शकों की संख्या में भी इजाफा होता है । लेकिन विशाल दर्शक वर्ग के सामने जब किसी भी परिवार का झगड़ा पेश किया जाता है तो उस शो पर सवाल उठने लाजिमी हो जाते हैं । टीवी शो बिग बॉस में मशहूर क्रिकेटर युवराज सिंह के भाई जोरावर सिंह की अलग रह रही पत्नी आकांक्षा शर्मा को प्रतिभागी के रूप में चुना गया और उसके दर्द को इस तरह से पेश किया गया कि युवराज के परिवार ने उसपर जमकर अत्याचार किए । ये वही युवराज सिंह हैं जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी को मात देते हुए देश को क्रिकेट का वर्ल्ड कप दिलाने में केंद्रीय भूमिका निभाई । जब इस शो में युवराज के भाई जोरावर सिंह की अलग रह रही पत्नी आकांक्षा को लाया गया तो उसने सलमान खान के सामने मंच पर खड़े होकर प्रतिष्ठित परिवार को पूरे देश के सामने कठघरे में खड़ा कर दिया। युवराज सिंह आकांक्षा ने बेहद संगीन इल्जाम लगाते हुए युवराज के परिवार की इज्जत तार तार कर दी । युवराज के परिवार को इस तरह से पेश किया गया जैसे उसने एक लड़की की जिंदगी बरबाद कर दी । पूरे शो के दौरान युवराज सिंह या फिर जोरावर सिंह के परिवार का पक्ष सामने नहीं आ पाया। युवराज के परिवारवालों का अपना एक अलग पक्ष है, आकांक्षा शर्मा को लेकर, लेकिन उस परिवार ने कभी भी सरे आम आकांक्षा पर किसी तरह का इल्जाम नहीं लगाया और एक मर्यादा में रहे । हलांकि इस बहस मे पड़ने का कोई औचित्य भी नहीं है । लेकिन जब पूरा मामला अदालत के विचाराधीन हो और उसपर सुनवाई चल रही हो तो एक टी वी शो को किसी के भी पारिवारिक झगड़े को सरेआम उछालने का मंच बनाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है ।
असल अगर हम टेलीविजन  के कार्यक्रमों की बात करें तो वहां सेलिब्रिटी से जुड़ी बातों को खास तवज्जो दी जाती है । चैनल के प्रोड्यूसर्स को लगता है कि सेलिब्रिटी के आते ही दर्शकों की संख्या में जमकर इजाफा होगा । लेकिन दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या किसी पर भी किसी भी तरह के ऊलजलूल आरोप लगवाना उचित है । क्या टी आर पी ( टेलीविजिन रेटिंग ) हासिल करने के लिए किसी की इज्जत उछालने की इजाजत दी जा सकती है । ऐसा नहीं कि इस तरह की तिकड़मों से चैनल को स्थायी दर्शक मिलते हों या फिर दर्शकों का विशाल वर्ग इस तरह के झगड़ों को पसंद करता हो । अगर ऐसा होता तो आकांक्षा शर्मा के आरोपों में दर्शक रस लेते और उसको शो में बनाए रखते लेकिन टी वी शो के दर्शकों ने तो उसको दूसरे ही हफ्ते में चलता कर दिया । इन दो हफ्तों में उसने युवराज सिंह की मां शबनम पर भी भूखे रखने तक का बेबुनियाद इल्जाम मढ़ दिया था ।  
हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी की खूब बातें होती हैं । संविधान में मिले इस अधिकार को लेकर पूरा देश बेहद संवेदनशील भी रहता है लेकिन इस अभिव्यक्ति की आजादी के साथ हमारी चंद जिम्मेदारियां भी तय हैं । जिस तरह के पिछले कुछ सालों में चंद महिलाओं ने सेलिब्रिटीज पर आरोप लगाए और उसको टेलीविजन चैनलों ने अपनी दर्शक संख्या बढाने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया उसपर विचार करने की आवश्यकता है । अभिषेक बच्चन की शादी के वक्त भी एक महिला सामने आ गई थी और उसने अभिषेक की पत्नी होने का दावा किया था । उसको टी वी चैनलों पर घंटों तक दिखाया गया था । क्या किसी भी परिवार की इज्जत का सरेआम तमाशा बनाना जायज है । क्या अदालतों में विचाराधीन मामलों के दौरान एक पक्ष को टी वी पर लाकर दूसरे पक्ष पर संगीन इल्जाम लगवाने के उपक्रम में भागीदारीअपराध नहीं है । अब वक्त आ गया है कि टी वी चैनल इस बारे में गंभीरता से विचार करें और जिम्मेदारी के निर्वहन में आगे आएं ।


1 comment:

Anonymous said...

आपने एक अच्छी बहस की शुरुआत की है।धन्यवाद