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Thursday, April 6, 2017

साख बचाने की चुनौती

एक मंत्री का सेक्स चैट, जिसमें मादक बातें हो रही हों किसी भी टीवी चैनल के लॉंच के दिन के लिए अच्छी स्टोरी मानी जा सकती है । ना सिर्फ अच्छी स्टोरी बल्कि ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाने का एक उपक्रम भी, बशर्ते कि जो ऑडियो क्लिप एयर किया जाए वो प्रामाणिक हो और दोनों पक्षों की बातें समझ में आ रही हों । लेकिन केरल के एक टीवी चैनल मंगलम टीवी ने अपने लॉंच के दिन के लिए एक ऐसा प्रपंच रचा जिससे पूरी पत्रकारिता शर्मसार हो गई । केरल का रीजनल चैनल मंगलम टीवी ने अपने लॉंच वाले दिन अपने पहले न्यूज बुलेटिन में दो ऑडियो क्लिप चलाना शुरू किया जिसमें एक शख्स कामुक बातें कर रहा था । चैनल का दावा था कि उस ऑडियो क्लिप में आवाज केरल के परिवहन मंत्री ए के शशिन्द्रन की है । कथित सेक्स चैट के एयर होते ही केरल की राजनीति में भूचाल आ गया और पिनयारी विजयन सरकार की आलोचना शुरू हो गई । कामुक बातों वाली इस ऑडियो क्लिप में सिर्फ मर्द की ही आवाज सुनाई जा रही थी और बार बार ये दावा किया जा रहा था कि मंत्री ए के शशिन्द्रन एक महिला से बात कर रहे हैं जो उनसे किसी शिकायत के सिलसिले में मिली थी । इस ऑडियो क्लिप के एयर होने के चंद घंटों के अंदर ही परिवहन मंत्री ए के शशिन्द्रन ने पद से इस्तीफा दे दिया ।
ए के शशिन्द्रन के इस्तीफे से बात खत्म नहीं हुई । अब उस ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े होने लगे थे क्योंकि उसको ध्यान से सुनने के बाद यह प्रतीत हो रहा था ऑडियो क्लिप की जबरदस्त एडिटिंग की गई है । सरकार ने भी आनन फानन में इल पूरे मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित कर दिया और एसआईटी को भी पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए । तबतक ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता और मंत्री ए के शशिन्द्रन जिस महिला से बात कर रहे थे उसकी आवाज नहीं सुनाने को लेकर चैनल की चौतरफा आलोचना भी शुरू हो गई थी । चौतरफा घिरता देख चैनल के सीईओ सामने आए और उन्होंने बगैर शर्त माफी मांगी और बताया कि मंत्री एक स्टिंग ऑपरेशन के शिकार हो गए थे और उनके चैनल की एक महिला पत्रकार ने ही मंत्री से बात की थी । मतलब कि महिला पत्रकार हनी ट्रैप की टूल बनीं । सार्वजनिक माफी के बाद भी यह मामला शांत होता नहीं दिख रहा है क्योंकि दो ऑडियो क्लिप ने एक मंत्री के सार्वजनिक जीवन पर दाग लगा दिया, इनको मानसिक प्रताड़ना झेलने को मजबूर किया गया, उनका इस्तीफा हो गया आदि आदि । चैनल की माफी के बावजूद एसआईटी ने चैनल के सीईओ समेत नौ कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कर सीईओ और चार अन्य को गिरफ्तार कर लिया है । जांच चलेगी, संभव है सजा भी हो जाए, चैनल पर केबल एंड टेलीविजन एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो लेकिन पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर जो दाग लगा है वो आसानी से मिटने वाला नहीं है । केरल की पत्रकार और बौद्धिक बिरादरी इस घटना से सन्न है । लेखकों ने एक बयान जारी कर इसकी निंदा की है वहीं पत्रकारों के संगठन ने दफ्तर के बाहर जाकर प्रदर्शन किया ।
दरअसल अगर हम देखें तो खासकर हिंदी टीवी में जब से नादान संपादकों की एक फौज आई है तो इस तरह की घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं । पहले जो संपादक होते थे उनको पत्रकारिता की परंपरा के साथ साथ अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी होता था । इस दौर के ज्यादातर टीवी के संपादकों को पत्रकारिता के मानदंडों से कुछ लेना देना ही नहीं है, पत्रकारिता की साख को लेकर कोई चिंता नहीं । उनको बस चिंता रहती है कि कुछ भी चलाकर रेटिंग आ जाए । इस दौर में खासकर हिंदी चौनलों में चंद ही टीवी संपादक बचे हैं जो इन दंद फंद से दूर रहते हैं । कई संपादकों को तो लगता है कि वो खबर बना भी सकते हैं । मंगलम टीवी की घटना खबर बनाने की इसी तरह की नादानी का एक शर्मनाक नमूना है । पूर्व में भी खबर बनाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें कार्रवाई भी हुई लेकिन सवाल तो वही है कि खबरों को बनाने की प्रवृत्ति क्यों ? टीवी में जिस तरह से युवाओं को लेकर संपादकों की रट सामने आती है वह अच्छी बात है लेकिन उनको अनुभव पर भी ध्यान देना चाहिए । मंगलम टीवी जैसी घटना को सिर्फ अनुभवी पत्रकार ही रोक सकता है या कम से कम सचेत कर सकता है ।  

भूत-प्रेत, नाच-गाना, मंदिर का रहस्य, पेड़ से टपकती श्रद्धा, जैसे विषयों को लेकर न्यूज चैनलों पर जिस तरह से घंटों तक प्रोग्रामिंग की जाती है उसमें संपादकों की मौन या मुखर सहमति तो रहती ही है बाजार का भी परोक्ष या प्रत्यक्ष दबाव रहता है । एक अनुमान के मुताबिक टीवी पर सालभर में करीब तीस हजार करोड़ के विज्ञापन आते हैं । इन विज्ञापनों का आधार अमूमन टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट ( टीआरपी ) ही रहता है । अब जब विज्ञापन का आधार ही टीआरपी है तो इसको हासिल करने का दबाव तो रहेगा ही । अनुभवी संपादक इस तरह के दबाव को झेल जाते हैं और रेटिंग हासिल करने का प्रामाणिक रास्ता तलाशते हैं लेकिन नादान संपादक तुरत फुरत रेटिंग के चक्कर में गलती कर बैठते हैं, कई बार तो अपने अनुभवी साथियों की सलाह को दरकिनार करके भी । मंगलम टीवी जैसी घटनाएं ना हों इसके लिए एडिटर्स गिल्ड, ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन और न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन जैसी संस्थाओं को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है । साख पत्रकारिता की सबसे बड़ी ताकत है और जिस तरह से खबरों को बनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है, उससे साख छीजती है, वो बेहद चिंता की बात है । 

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